मौलिकता
समाधि की अवस्था में मानवीय चेतना से उपजा हर विचार मौलिक है ।
प्रेम-युक्त आलिंगन की मौन स्थिति मौलिक है।
प्रत्येक व्यक्ति स्वयं में मौलिक है ।
प्रत्येक क्षण मौलिक है ।
इच्छा रहित शांत चित्त मौलिक है ।
विचार रहित वर्तमान मौलिक है ।
फूल का खिलना मौलिक है ।
फूल का मुरझा कर गिरना मौलिक है ।
किसी पत्थर का तुम्हारे द्वारा उठाया जाना मौलिक घटना है ।
पत्थर स्वयं भी मौलिक है ।
अनुकरण रहित आचरण मौलिक है ।
ह्रदय का रुदन मौलिक है ।
किसी की बात को ठीक-ठीक उसी अर्थ में समझ लेना,जान लेना जैसा कि वक्ता के मन में है, एक मौलिक घटना है ।
स्वयं की अनुभूति मौलिक है ।
स्वयं की आह ! मौलिक है ।
आश्चर्य मौलिक है ।
जीवन मौलिक है ; मृत्यु मौलिक है ।
स्वयं का आविष्कार, खोज मौलिक है ।
स्वयं की भटकन जानना मौलिक है ।
पत्तों की खनखनाहट, वृक्षों की सांय-सांय, पक्षियों की चहचाहट, तारों की टिमटिमाहट, शशि का सौंदर्य, कामिनी की चंचलता मौलिक है ।
सद्-वचनों की अभिव्यक्ति जो स्वानुभव से निकली हो और जो चेतना को विराट रूप प्रदान करे- वह मौलिक है ।
नृत्य मौलिक है ;संगीत मौलिक है ; काव्य मौलिक है ; यदि इन की उद्भावना ह्रदय की जमीन पर और आत्मा की लयबद्धता तथा अंत:करण की अनुशासनबद्धता से हुई है ।
वह सब मौलिक है जिसे ईमानदारी से आप अपना कह सको ।
प्रेम-युक्त आलिंगन की मौन स्थिति मौलिक है।
प्रत्येक व्यक्ति स्वयं में मौलिक है ।
प्रत्येक क्षण मौलिक है ।
इच्छा रहित शांत चित्त मौलिक है ।
विचार रहित वर्तमान मौलिक है ।
फूल का खिलना मौलिक है ।
फूल का मुरझा कर गिरना मौलिक है ।
किसी पत्थर का तुम्हारे द्वारा उठाया जाना मौलिक घटना है ।
पत्थर स्वयं भी मौलिक है ।
अनुकरण रहित आचरण मौलिक है ।
ह्रदय का रुदन मौलिक है ।
किसी की बात को ठीक-ठीक उसी अर्थ में समझ लेना,जान लेना जैसा कि वक्ता के मन में है, एक मौलिक घटना है ।
स्वयं की अनुभूति मौलिक है ।
स्वयं की आह ! मौलिक है ।
आश्चर्य मौलिक है ।
जीवन मौलिक है ; मृत्यु मौलिक है ।
स्वयं का आविष्कार, खोज मौलिक है ।
स्वयं की भटकन जानना मौलिक है ।
पत्तों की खनखनाहट, वृक्षों की सांय-सांय, पक्षियों की चहचाहट, तारों की टिमटिमाहट, शशि का सौंदर्य, कामिनी की चंचलता मौलिक है ।
सद्-वचनों की अभिव्यक्ति जो स्वानुभव से निकली हो और जो चेतना को विराट रूप प्रदान करे- वह मौलिक है ।
नृत्य मौलिक है ;संगीत मौलिक है ; काव्य मौलिक है ; यदि इन की उद्भावना ह्रदय की जमीन पर और आत्मा की लयबद्धता तथा अंत:करण की अनुशासनबद्धता से हुई है ।
वह सब मौलिक है जिसे ईमानदारी से आप अपना कह सको ।
अनुकरण रहित आचरण मौलिक है ।
जवाब देंहटाएंकिसी की बात को ठीक-ठीक उसी अर्थ में समझ लेना,जान लेना जैसा कि वक्ता के मन में है, एक मौलिक घटना है ।
स्वयं की अनुभूति मौलिक है ।
स्वयं का आविष्कार, खोज मौलिक है ।
स्वयं की भटकन जानना मौलिक है ।
वह सब मौलिक है जिसे ईमानदारी से आप अपना कह सको ।
aap ki ukt sabhi mauliktayeN achchhi lagiN.